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________________ [ ३६ ] संबन्ध जाणवो श्रावश्यक के अध्ययन, व्यापार, कृषि इत्यादि जीवननां अगत्यनां कमी साथै धर्मनो संबन्ध जाणवो ग्रेज अत्यारना शोधक प्रागल मोटी समस्या है. धर्मना सिद्धांतो पुस्तकमा रहेवा सर्जायां नथी पण आचारमां मुकवा सर्जाया छे. लच्यमां राखीने श्रापणे धार्मिक जीवननी शरुयात करवानी छे. जीवननां विविध क्षेत्रोने धर्म साथै शु संवन्ध छे अवधानी चर्चानो अत्र श्रवकाश नधी - मात्र कृपि श्रने जैनधर्म - कृषि ने ने जैनधर्म ने शो संबन्ध छे तेनी परीक्षा करवानी छे. जैनधर्म ने खेतीने शो संबन्ध छे ते जाणवां माटे जैनधर्मना उद्गमनी परिस्थितिनी दूंकी आलोचना आवश्यक छे. वैतिहासिक प्रमाणो नजर समक्ष राखीये तो जैनधर्मना मूल उंडा मालूम पड़े छे. ई. स. पूर्व ७५० अ अनी तिहासिक मर्यादा. विचारोनी क्रांतिना कालमां जैनधर्मनो उदय थयेलो. लोकोने शंका थवा लागी के श्री यज्ञजाल, प्रा पशुवधाने चर्चा शु कदीय मोक्षप्राप्तिनुं साधन थशे खरी ? श्री शंका धीरे धीरे मूर्त स्वरूप पकडती गई श्रने ना जवाब रूपे जे विचारको उभा थया ते जैन विचारको हता. २३ मां तीर्थकर पर्श्वनाथ ई० स० पू० ७५० - तिहासिक व्यक्ति तरीके सिद्ध थया है (जेनुं मान H. jacobi ने घटे छे) पण नो अर्थ ओम नथी के इ० स० पू० ७५० मां जैनधर्म का अस्तित्त्वमां आवी गयो. कोई पण विचारनी शाखा ने धर्मनी
SR No.010399
Book TitleKrushi Karm aur Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherShobhachad Bharilla
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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