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________________ [ ११ ] की हिंसा नहीं होती। केवल इधर की थैली उधर उठाकर रखनी पड़ती है। पर खेती में ? एक हल चलाने में न जाने कितने जीवों की हिंसा होती है ? यह कहना भी अत्युक्ति नहीं कि खेती में छहों कायों की हिंसा होती है। मित्रो ! उथले विचार से ऐसा मालुम होता है सही, पर अगर गहराई में जाकर विचार करेंगे तो आपको कुछ और ही प्रतीत होगा। श्राप इस बात पर ध्यान दीजिए कि जगत् का कल्याण किसमें है ? पाप का सूल क्या है? क्या संदेह करने की बात है कि खेती के विना जगत् सुखी नहीं रह सकता ? खेती से प्राणियों की रक्षा होती है। थोड़ी देर के लिए, कल्पना कीजिए कि संसार के सब किसान कृपिकार्य छोड़कर जुआरी बन जाएँ तो कैसी वीते ? ___ जिस कार्य से जगत् के प्राणियों की रक्षा होती है। पालन होता है, वह कार्य शुभ है या पाप का? वह कार्य एकांत पाप का नहीं हो सकता। अब आप जुए की तरफ़ देखिए । जुश्रा जगत्कल्याण में तनिक भी सहायक नही है। बल्कि जुत्रा खेलने वालों में झूठ, कपट, छलछिन्द्र, तृष्णा आदि अनेक दुर्गण पैदा हो जाते हैं। अधिक क्या कहें, संसार में जितने भी दुर्गुण हैं, वे सब जुए में विद्यमान हैं। जुआ और खेती के पाप की तुलना करते समय आप यह न भूल जाइए कि शास्त्रों में जुए को सात कुव्यसनों में गिना
SR No.010399
Book TitleKrushi Karm aur Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherShobhachad Bharilla
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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