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________________ (१५) ७४ विषय. पृष्ट. , गाथा. सूक्ष्मसम्पराय में उदय ...... ....... ६१ , १५-१६ उपशान्तमोह में उदय ...... ...... .६२ , १६ क्षीणमोह और सयोगिकेवली में उदय ६५ , २० अयोगिकेवली मे उदय ... ...... ६६ २२-२३ उदय-यन्त्र ...... ....... ....... ७० उदीरणाधिकार-३ उदय से उदीरणा की विशेषता , २३-२४ उदीरणा-यन्त्र • सत्ताधिकार-४ सत्ता का लक्षण और पहले ग्यारह गुणस्थानों में प्रकृति-सत्ता ....... ७५ , अपूर्वकरण श्रादि ४ और सम्यक्त्व आदि ४ गुणस्थानों में मतान्तर से सत्ता ७८ , क्षपकणि की अपेक्षा से सम्यक्त्व. गुणस्थान आदि में सत्तां ...... ७६ , अनिवृत्तिकरण के दूसरेभाग श्रादि में सत्ताम? , २८-२६ सूक्ष्मसंपराय और क्षीणमोह की सत्ता ८१ , . ३० सयोगी की सत्ता ..."."" ८१ , ३१ अयोगी की सत्ता ...... ८१ ३९से३३ मतान्तरसे अयोगीके चरम समयमें सत्ता८५ , ३४ सत्ता -यन्त्र .......... ....... ७ उत्तर प्रकृतियों का बंध, उदय,उदीरणा और सत्ता-सम्बन्धी यन्त्र ८८
SR No.010398
Book TitleKarmastava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmanandji Maharaj Jain Pustak Pracharak Mandal
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1918
Total Pages151
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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