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________________ 50 सुरभिसन्देश:-' इस दूतकाव्य के रचनाकार आधुनिक प्रसिद्ध कवि है जिनका नाम श्री वीर वल्लि विजय राघवाचार्य है। काव्य अति सुन्दर है। इस काव्य मे आधुनिक नगरों का वर्णन किया है। हनुमदूतम्:- यह दूत काव्य आशुकवि श्री नित्यानन्द शास्त्री द्वारा प्रणीत है। काव्य १९ वी शती का है। इसमे मेघदूतम् के प्रत्येक श्लोक का चतुर्थ पंक्ति की समस्या पूर्ति की गई है। इसमे ६८ एवं ४९ श्लोक है। काव्य मन्दाक्रान्ता। छन्द मे रचित है। इस दूतकाव्य के २ भाग है पूर्व भाग एवं उत्तरभाग। इस दूतकाव्य मे हनुमान द्वारा सीता जी का पता लगवाया गया है अतः सन्देश सम्प्रेषण का कार्य हनुमान ने किया है। इसमे कवि का भाव बहुत ही सुन्दर है उसमे मौलिकता है। इस दूतकाव्य के श्लोको मे कुछ नवीनता झलकने का कवि ने पूर्णतः प्रयास किया है।' हरिणसन्देश-' इस दूतकाव्य के रचयिता वेदान्तदेशिक के सुपुत्र श्री वरदाचार्य हैं। इस दूतकाव्य का सन्देश वाहक हरिण हैं। काव्य का मात्र उल्लेख प्राप्त होता है। हरितदूतम् -* प्रो० मिराशी ने अपनी पुस्तक में इस दूतकाव्य का मात्र नाम उल्लेख किया है परन्तु इस दूतकाव्य के विषय में विशेष जानकारी नहीं हो पाती। हंसदूतम् -' इस दूतकाव्य के रचनाकार श्री रघुनाथदास है। इस दूतकाव्य में हंस द्वारा सन्देश सम्प्रेषण करवाया गया है। इस दूतकाव्य की संस्कृत के सन्देश काव्य राम कुमार आचार्य २ अप्रकाशित। खेमराज श्रीकृष्णदास द्वारा विक्रम संवत १९८५ में बम्बई से प्रकाशित। खेमराज श्रीकृष्णदास द्वारा विक्रम सं० १९८५ में बम्बई से प्रकाशित मैसूर की गुरुपरम्परा में उल्लिखित, अप्रकाशित
SR No.010397
Book TitleJain Meghdutam ka Samikshatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSima Dwivedi
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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