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________________ इस दूत काव्य की कथा इस प्रकार है कि कृष्ण के मथुरा चले जाने पर निर्मला नामक एक गोपबाला विरह से बहुत व्याकुल हो उठती है। अपनी इस विरह व्यथा को श्रीकृष्ण तक पहुँचाने हेतु वह वायु को अपना दूत बनाकर अपना विरह सन्देश श्री कृष्ण के पास भेजती है। काव्य पूर्ण रूप मे उपलब्ध नही है, उसके कुछ अंश मात्र उपलब्ध हैं। 28 अब्ददूत :- ' यह दूत काव्य राम कथा पर आधारित है। उसके रचनाकार श्रीकृष्णचन्द्र है। काव्य अप्रकाशित है। मूलप्रति तालपत्र पर लिखित सुरक्षित है। काव्य में १४९ श्लोक है। कथा यह है कि श्री रामचन्द्र जी सीता के विरह मे व्याकुल है और मलयपर्वत पर विचरण करते है और तभी आकाश मे मेघ को देखकर अत्यधिक विरहातुर हो जाते हैं और उसे अपना दूत बनाकर सीता के पास अपना विरह सन्देश भेजते हैं। २ अमर सन्देश :- इस दूत काव्य के रचनाकार के विषय मे किञ्चिन्मात्र भी जानकारी नहीं है। इस काव्य का उल्लेख सूचीपत्र पर प्राप्त हुआ है। कपिदूतम् : :- इस काव्य के रचनाकार के विषय में कुछ भी जानकारी प्राप्त नही है। ढाका विश्वविद्यालय के पुस्तकालय (हस्तलिखित ग्रन्थ सं. ९७५ वि.) मे इस काव्य की एक खण्डित हस्तलिखित प्रति उपलब्ध है। काकदूतम् :- इस दूतकाव्य के रचयिता कवि श्री गौरगोपाल शिरोमणि जी है। काव्य की कथा कृष्ण भक्ति पर आधारित है। इस काव्य में दौत्य कर्म को एक काक द्वारा सम्पादित करवाया गया है। १ R अप्रकाशित (आचार्य मेरूतुङ्ग कृत जैन मेघूदतम् (भूमिका मूल, टीका एवं हिन्दी अनुवाद सहित ) डा. रविशंकर मिश्र । श्री जीवानन्द सागर द्वारा उनके काव्य संग्रह के प्रथम भाग के तृतीय संस्कृरण में सन् १८८८ में कलकत्ता से प्रकाशित डा. जोन हेबालिन द्वारा उनके काव्य संग्रह १८४७ में कलकत्ता में प्रकाशित।
SR No.010397
Book TitleJain Meghdutam ka Samikshatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSima Dwivedi
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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