SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 234
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२१६) उनकी गोचरी न लाना क्योंकि उनकी इच्छा हो तो खाये नहीं तो नहीं खावं वी . पटना पडे. वासावामं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंधाण वा निगंथीण वा उदउल्लण वा ससिणिद्धेण वा काएणं असणं वा १ पा० २ खा०३ सा०४ पाहारित्तए ॥ ४२ ॥ से किमाहु भंते ? सत्त सिहाययणा पण्णत्ता, तंजहा पाणी १, पाणिलेहा २, नहा ३, नहसिहा १, भमुहा ५, अहरोठ्ठा ६, उत्तरोट्ठा ७ । अह पुण एवं जाणिज्जा-विगयोदगे मे काए छिन्नसिणेहे, एवं से कप्पड असणं वा १ पा० २ खा० ३ सा०४ ग्राहारित्तए ।। ४३ ।। साधु साध्वी के शरीर उपर पानी टपकता हो तो उस समय खाना न कल्पे क्योंकि दो हाय, दो हाथ की रेखायें नख, नख शिखा, भ्रकुटी, डाही, मृछ, वो वर्षा के पानी से भीगत रहते हैं वे मूख जान की प्रनीति होवे तब गोचरी कर जिसस सचित पानी के जीवों की विराधना न होवे. वामावासं पज्जोसवियाणं इह खलु निग्गंथीण वा निग्गंधीण वा इमाई अट्ठ-सुहुमाइं, जाई छउमत्येणं निग्गौण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं २ जाणियबाई पासिब्बाइ • पडिलेहियबाई भवंति, तंजहा-पाणसुहुमं १, पणगसुहुमं २, बीअसुहुमं ३, हरियसुहुमं ४, पुप्फसुहुमं ५, अंडसुहुमं ६. लेएसुहुमं ७, सिणेहसुहुमं ८ ॥४४॥ . चौमासा में रहे हुए आट मुक्षयों को अच्छी तरह समझना और वारंवार उनकी रचा करने का उद्यम करना. १ मुन्म जीव, २ मूक्ष्म काई ३ वीज ४ वनस्पति ५ पुष्प ६ अंडे ७ बिल ८ अपकाय उन सब की रक्षा करनी.
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy