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________________ (२०१) नाली बनाव, मारी बनावे, व सब ( साध के लिय न करें ) अपन लिय को बाद साधु उसमें निवास करे. (ज्ञान की मंदता से जैन ज्योतिष के अभाव में चौमामा में भी अधिक मास याजाने मे किननक इस भूत्रानुसार ५० दिन में पर्युपणा करते हैं किननक अधिक मास का नहीं गिनकर भादग्वा मास में ही अर्थात् ८० दिन में करते हैं उनके बारे में समभाव छोड़ कलुपिन वचनों से आचप कर आत्मदिन के बदल संसार बढ़ाने का रास्ता लेते है इसलिये मुमुक्षु (मांचाभिलापी) भी से प्रार्थना है कि तत्व केवलिगम्य रखकर ५० या ८० दिन में पर्युपणा इन्छानुसार कर पर्युषण में कहाहुभा यात्म सहतिरूप धर्म अच्छी नम्ह पागधन करना जिसका आत्मा शुद्धभाव से दोनों दिन में कोई भी दिन में करेगा उगम का कल्याण होगा. क्लेश से कलुपित अनान्मार्थी क्लंग बढाकर बयं होगा अथवा इवाएगा उनके फंदों में फंसफर अपना हिन का नाश नहीं करना चाहिंग. सुन पुरुषों का अधिक क्या कहना अर्थान् दंन कला और अपने सानायानुसार प्रवृत्ति करना चाहिय और माध्यम्य भाव रखना चाहिये ). ___महावीर प्रशु की तरह गणधग ने और गणया गियों ने भी पगणा पत्र किये हैं इसी तरह स्थविगें ने भी पर्युपणापर्व किया है. इसी तरह आज र. साधु निग्रंथों को भी पर्युगणा का पर्व करना चाहिये और ये करने पही में आचार्य उपाध्याय और साथ (इम ग्रन्थ लिखने वाले. ) को भी परगा पर करना चाहिय. जैसे आचार्य उपाध्याय पपण करने , ग म ५० दिन में पपणा करते हैं उमक भीतर करना कल्ले फिन्तु एक गत्रि भी अधिक ना पहानी चाहिये, (यहां पर ८० दिन में करने वाले को ५० दिन बाद कहने फि... दिन में नहीं करना किन्तु अधिक नहीं गिनने मे ५. पानां? नर भगियों को पर्याणा का अर्थ या कि.पा. जगा अंटार नामाग में धर्म ध्यान करना किंतु वानरात में फिग्न में नपरको पीटा नरीदनी भर गोपागा जन टीपणा के अनुमा नार माग का दिन प्रथम पारी पमान कि सारे फिनु पिले ७० दिन नो टागना ही नारिंग इसमें भी बार माग र निरा रिना पागधर नी गरिंग पणा पानि
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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