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________________ (२००) जहा णं समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसहराए मासं विइकते वासावासं पज्जोसवेइ, तहा एं गणहरावि वासाणं सवीसइराए मासे विइकंते वासावासं पज्जोसर्विति॥६॥ ____ जहा णं गणहरा वासाणं सवीसइराए जाव पज्जोसविति, तहा णं गणहरसीसावि वासाणं जाव पज्जोसविति॥४॥ ____ जहा णं गणहरसीसा वासाणं जाव पज्जोसर्विति, तहा णं थेरावि वासावासं पज्जोसर्विति ॥ ५॥ ____ जहा णं थेरा वासाणं जाव पज्जज्जोसविंति, तहा णं जे इमे अज्जताए समणा निग्गथा विहरंति, तेवित्र णं वासाप जाव पज्जासावात ॥६॥ जहा पंजे हमे अजजत्ताए समणा निग्गंथा वासाएं सवीसइराए मासे विइंकते वासावास पज्जोसर्विति, तहा एं अम्हंपिायरिया उवज्झाया वासाणं जाव पज्जोसर्विति॥७॥ जहा णं अम्हपि पायरिया उवझाया वासाणं जाव पज्जोसर्विति, तहा णं अम्हेवि वासाणं सवीसइराए मासे. विकंते वासावासं पज्जोसवेमो, अंतरावि य से कप्पइ, नो से कप्पड़ तं रयणि उवाइणावित्तए ॥८॥ * नवम व्याख्यान-समाचारी चौमासा सम्बन्धी है , . भगवान महावीर के साधु एक मास २० दिन होने वाद पर्युषणा करते हैं शिष्य ने पूछा कि पर्युपणा क्यों करनी ? उसका आचार्य समाधान करते हैं. साधु ग्रहस्यों के घरों में उतरते हैं वे अपने कार्य के लिये छत उपर सादरी ( ) से ढांके, चूना से सफेद करे, घास से ढाके, गोबर से लीपे, . . गुपन करे, जमीन बरोबर करे, पापाण से घसे, सुगंधी धूप करे, पानी की पान करते हैं. ना से सफेद अपने कार्य के
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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