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________________ (१७१) अट्ठमीपवखे णं दिवसस्स पच्छिमे भागे सुदंसणाए सीयाए सदेवमणासुराए परिसाए समणुगम्ममाणसग्गे जाव वि. णीयं रायहाणिं मझमज्झणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव सिद्धत्थवणे उज्जाणे जेणेव असोगवरपायचे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स जाव सयमेव चउमुहिनं लोगं करेइ, करित्ता छटेणं भत्तणं अपाणएणं प्रासाढाहिं नक्खत्तणं जोगसुवागएणं उग्गाणं भोग्गाणं राइण्णाणं खत्तियाणं च चरहिं पुरिससहस्सेहिं सद्धिं एगं देवदूसमादाय मुंडे भवित्ता प्रागाराप्रो अणगारियं पाइए ।। २११ ॥ ऋपभदेव प्रभु मय उत्तम गुणों से भूपित थे २० लाग्य पूर्व कुमार रहे ६३ लाख पूर्व राज्याधीश रहे उस समय पर लेखन वगैरह गणिन प्रधान पनी का अवाज जानना तक पुरुप की ७२ कलाएं सीखाई स्त्री की ६४ कलाए शिल्प सो जाति का ये तीन बातें प्रजा के हितार्थ सीखाई और १०० पुत्रों को राज्याभिषेक किया। पुरुप की ७२ कलाएं। लेखन, गणित. गीत, नृत्य, वाद्य, पठन, शिक्षा, ज्योतिप. इंद्र, अलंकार, व्याकरण, निरुक्ती, काव्य, कात्यायन, निघंटु, गजारोहण. अश्या रोहण उन दोनों की शिक्षा, शास्त्राभ्याम, रस, मंत्र, यंत्र. विप, खन्य, गंधवाद, प्राकृत. मग्न. पैशाचिक अपभ्रंश, स्मृति, पुराण, विधि, मिद्धांत. तर्फ, बैठक बंद आगम संहिता इतिहास, सामुद्रिक विज्ञान, आचार्य कविद्या, रसायन. कपट, विशनुवाद, दर्शन, संस्कार, धूर्त. संवलक. मणिकम. नरु चिकिमा, बर्ग कला. अमरी कला. इंद्रजाल, पानाम सिद्धि. पंचक. ग्सबनी, मयं करणी प्रामाद लक्षण, पण. चित्रोपल, लेप, चपं कम पत्र छद. नग्य छेद. पत्र परीक्षा. नीकरण, काष्ट घटन, देश भाषा. गान्ड, गोगांग धातुकर्म कवन विधि शान गन ।
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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