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________________ ( १६५) एउमप्पहस्स णं अरहो जावप्पहीणस्स दस सागरोवमकोडिसहस्सा विकता, तिवासनद्धनयमाचाहियवायाली. ससहस्सेहिं इचाइयं, सेसं जहा सीअलस्म ॥. २०० ॥ ६॥ . सुमइस्स णं अरहो जाव० प्पहीणस्स एगे सागरोवमकोडिसयसहस्से विड़कंते, सेतुं जहा सीअलस्त, तिवासनवमासाहियबायाली ससहस्सहिं इन्चाइयं ॥ २०१ ॥ ५॥ अभिनंदणस्स.णं अरहो.जाव० प्पहीणस्स दस सागरोवमोडिसयसहस्सा विक्रता, सेसं जहासीअलसतंच इमं तिवासद्धनवमासाहियवायालीसवाससहस्सेहिं इन्चाइयं ॥ २०२ ।। ४॥ शीतलनाथ और महावीर का माक्ष समय अंतर १ कोड सागरोपम में । ४२०८३ वर्ष ८॥ मास कम है उसके ६८० वर्ष बाद कल्पमूत्र लिखा गया है सुविधिनाथ से १० क्रोड़ सागरोपम और शीतलनाथ की तरह जानना. चन्द्र प्रभु से १०० कोड़ सुपार्श्वनाथ से १००० क्रोड़ पद्मप्रभु से १०००० कोड़ मुमतिनाथ से ह लाख कोड़ अभिनंदन से १ लाख कोड़ , संभवस्स णं अरनो जाव० प्पहीणस्स वीसं सागरोवमकोडिरायसहस्सा विइता, सेम जहा सीअलस्स, तिवासअद्धनवमासाहियवायालीसवाससहस्सेहिं इन्चाइयं ॥२०॥३॥ अजियस्स णं अरहयो जावप्पहीणस्स पन्नासं सागरोवः मकोडिसयसहस्सा विइकता, सेसं जहा सीअलस्स, तिवासभद्धनवमासाहियवायालीसवाससहस्सोहिंडचाइयं ॥ २०४॥२॥
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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