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________________ (१४०) का ख्याल में मग्न होकर धैर्यता धारण करने से केवल ज्ञान हुआ. . . देवताओं ने आकर इन्द्रभूतिजी का केवल ज्ञान का महोत्सव किया. . कवि घटना. अईकारापि बांधाय, रागोपि गुरुभक्तये, विषादः कवलाया मृत् चित्रं श्री गौतम प्रभोः १ वाद करने से बोध मिला, राग से गुरु भक्ति का लाभ, खेद से कंबल मिला गौतम स्वामि की बात आश्चर्य रूप है ( दूसरों को भी बोध भक्ति और खेद से क्या लाभ होता है अथवा वे कहां करने वाँ सोचना चाहिये दिवाली और बेटते वर्ष का पहिला दिन का महिमा जैनों में कैसे हुआ वो भी विचारना चाहिय), ___ गौतम इन्द्रभूति बारह वर्ष केवल ज्ञान का पर्याय पूराकर मुक्ति में गये मुधर्मा स्वामि आठ वप केवल जान पोय पालकर मोक्ष गये। जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सबदुक्खप्पहीणे, तं रयर्षि च णं नवमल्लई नवलेच्छई कासीकोसलगा अद्यारसवि गणरायाणो अमावासाए पारा• भोयं पोसहोववासं पट्टविमुं, गए से भाबुज्जोए, दबुज्जोध करिस्सामो ॥ १२७ ॥ दीवाली पर्व. प्रभुक निर्वाण समय पर काशी कांशल देश के नत्र मञ्चकी जानि के नत्र लन्छकी जाति के राजा आये थे वे चेड़ा महाराजा के सामन थे, उन्होंने संसार म पार उतारने वाला पौषध उपवास किया वीर भगवान के निर्वाण से धर्मोपदंश के अभाव में हम द्रव्या योन करेंगे ऐसा विचार कर दीपक जलाए वह दिवाली शुरु हुई ( नंदिवर्धन बंधु को सुदी १ को मालूप हुई उनका खेद निधारणार्थ दूज के दिन बहन के घर को नीम उससे भाई वीन पर्व हुआ) _____ रयणिं च णं समणे जावसम्बदुक्खप्पहीणे, तं रयणिं च पं खुदाए भासरासी नाम महग्गहे दोवाससहस्सठिई सम
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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