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________________ (११५) मधुरा नगरी में साधु दासी जिनदास नाम के दो स्त्री पुरुष (पति पत्नी) थे श्रावक के पंचम स्थूल परिग्रह परिमाण व्रत में चोपगे (गौ बैल वगैरह ) न रखने की प्रतिज्ञा की थी एक दूधवाली रोज नियमित अच्छा ध योग्य दाम से देती थी जिससे दोनों को परस्पर प्रीति होगई साधु दासी ने प्रसन्न होकर उसके घर की यादी (लग्न ) मे योग्य वस्तुएं वापरने को दी । विवाह की शामा होने से दो छोटे वैल लाकर शेगणी को दिये उन्होंने नहीं रखे परन्तु वो पल जबरी से रखकर चली गई शेठाणी ने उसको रखकर धर्म सुनाया जिससे पैल तप भी करने लगे जिससे दोनों बैल भाई माफिक प्यारे लगे. ____ एक वक्त मेले के समय में अच्छे बैल को देखकर जिनदास का मित्र विना पूछे उठाकर लेगया और भांहिर वन के यक्ष की यात्रा में खूब भगाये बैलों को अभ्यास न होने से उनकी हड्डियें टूटगई रात को घर लाकर बांध दिये जिनदास को बड़ा दुःख हुश्रा परन्तु और उपाय न होने से नवकार मंत्र से आराधना कराकर धर्म संबल दिया वे दोनों नागकुमार देव हुएं । धर्म भक्त हो कर ज्ञान से जानकर धर्मनायक वीरप्रभु की सेवा कर नाव वचाली सुदंष्ट्र देव भागा दो देव पुष्प वृष्टि वगैरह से प्रभु की महिमा कर चले गये, प्रभु वहां से विहार कर रोजग्रही नगरी में आये और नालंदा पाडा में एक शालवी (कपड़ा बुनने वाला) की जगह में एक मास रहे वहां गौशाला मिला. गौशाला की उत्पत्ति । मंख नामका एक ब्राह्मण था उसकी सुभद्रा नामकी स्त्री थी वो गौ बहुल प्राह्मण की गौशाला में रहता था वहां पुत्र जन्म होने से पुत्र का नाम गौशाला हुआ प्रभुं के एक मास के उपवास के पारणा में विजय शेठ के घर को देवों ने पंच दिव्य से प्रभु का महिमा किया था को देखकर गौशाला प्रभु को बोला कि मैं भान से आपका शिष्य हं. प्रभु का दूसरा पारणा नंद शेठने पकवान से कराया, तीसरा पारणा सुनंद शेठने परमान्न से कराया चोथे मास के उपवास का पारणा कोलाग सन्निदेश में बहुल नाम के ब्राह्मण ने दूध पाक से कराया वहां भी देवोंने पंच दिव्य से महिमा किया.
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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