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________________ नंदीश्वरपूजा। ३५३ गोता छंद। शुचि क्षोर दधि सम नीर निरमल, कनकझारीमें भरौं । संसारपार उतार स्वामी, जोरकर विनती करौं । सम्मेदगिरि गिरनार चपा, पावापुरी कैलासकों पूजों सदा चौवीसजिननिर्वाण भूमिनिवासकौं । ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरनिर्वाणक्षेत्रेभ्यो जलं ॥१॥ केशर कपूर सुगंध चंदन सलिल शीतलं विस्तरौं। भवपापको संताप मेटो, जोर कर विनती करौं । सम्मे ॥ ___ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकर निर्वाणक्षेत्र भ्यो चंदनं ॥ २ ॥ मोतीसमान अखंड तंदुल, अमल आनंदधरि तरौं। औगुन हरौ गुन करौ हमको,जोर कर विनती करौं । सम्मे० ___ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थकर निर्वाणक्षेत्रभ्यो अक्षतान् शुभफूलरास सुबासवासित, खेद सब मनके हरौं। दुखधाम काम विनाश मेरो, जोर कर विनती करौं ।सम्मे० ॥ ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरनिर्वाणक्षेत्र भ्यो पुष्पं ॥ ४ ॥ नेवज अनेक प्रकार जोग मनोग धरि भय पिरिहरौं । यह भूखदूखन टार प्रभुजी, जोर कर विनती करौं ।सम्मे० ।। ॐ हीं चतुर्विंशतितीर्थंकरनिर्वाणक्षेत्रेभ्यो नैवेद्य ॥ ५ ॥ दीपक प्रकाश उजास उजल, तिमिरसेती नहिं डरौं। संशविमोहविभरम-तमहर, जोर कर विनती करौं ॥सम्मे० ॥ ___ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरनिर्वाणक्षेत्रेभ्यो दीपं । ६॥ शुभ धूप परम अनूप पाघन, भाव पावन आचरौं। सब करमपुज जलाय दीजे, जोर कर विनती करौं ।सम्मे० ॥
SR No.010386
Book TitleJinvani Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatish Jain, Kasturchand Chavda
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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