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________________ लघु मभिषेक पाठ। ३१३ (४६)सात व्यसनका त्याग। जूवा, मांस, मदिरा, गणिका, शिकार चोरी परस्त्री। (५०) बाईस अभक्ष्यका त्याग । पांच उदम्बर-१ उदम्बर (गूलर ), २ कटूम्बर, ३ बड़फल, ४ पीपलफल, ५ पाकर फल ( पिलखन फल )। तीन मकार-१ मांस, २ मधु, ३ मदिरा । शेष १४ अभक्ष्य-ओला, विदल, रात्रि भोजन, बबीजा, बैंगन, कन्दमूल, बगैर जाना फल, अचार, विष, माटी, बरफ, तुच्छ फल, चलित रस, मास्नन । (५१) श्रावकके षट कर्म । देव पूजा, गुरुसेवा, स्वध्याय, संयम, तप, दान यह छह कर्म प्रत्येक श्रावकको करना चाहिये । (५२) दशलक्षण धर्म। उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग आकिंचन, ब्रह्मचर्य। (५३) लघु अभिषेक पाठ । श्रीमज्जिनेन्द्रमभिवन्यजगत्रयेशं स्याद्वादनायकमनन्तचतुष्टयार्हम् । श्रीमूलस'धसुद्शां सुकृत कहेतु जैनेंद्रयाविधिरेष महाभ्यधायि ।। (इस श्लोकको पढ़कर जिनचरणों में पुष्पांजलि छोड़नो चाहिये) श्रीमन्मन्दरसुन्दरे शुचिजलधौते सदर्भाक्षतः पीठेमुत्तिकरनिधाय, रवित स्थपादपास्त्रजः इन्द्रोऽहनिजभूषणार्थकमिदं यज्ञोपवीतं दधे ।
SR No.010386
Book TitleJinvani Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatish Jain, Kasturchand Chavda
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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