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________________ ( 2 ) योगियोना स्वामी 'त्रीजातीर्थकर' जगतमां एक सूर्यस मान, शोजायमान संभवनाथ भगवानने नमस्कार हो । तुर्यकं जिननाथं च, अभिनंदननामकम् ॥ स्वजन्मावसरे मेरो, प्राप्तं नौमि सुनिर्मलम् ॥४॥ अर्थः- पोताना जन्मसमयें मेरुपर्वत उपर प्राप्त थयेला अत्यंत निर्मल एवा श्री अभिनंदननामना चो या तीर्थकर भगवानने हुं नमस्कार करूं बुं ॥ ४ ॥ सुमतिं सुमतिर्देया, त्पञ्चमः परमेश्वरः ॥ तनोतु वः सुखान्येष, संसारांबुधिपारगः ॥ ५ ॥ अर्थः- सुमतिनामना पांचमा तीर्थकर, तमोने बु दिने खापजो. तेमज संसाररूप समुना पारने पा मेला एज परमेश्वर, तमोने सुखने विस्तारो ॥ ५ ॥ पद्मप्र प्रभुर्नाम, तनोतु विमलां श्रियम् ॥ मोदमल्लजयेनेव, जाति यः कमलद्युतिः ॥ ६ ॥ यर्थः - मोहरूपी मननो जय करवाथीज जाणे होय नहि ? एम कमलसरखी सुंदर कांतिवाला जे नग वान शोना पामे बे. ते पद्मप्रननामना तीर्थकर, नि र्मल लक्ष्मीनो विस्तार करो ॥ ६ ॥
SR No.010385
Book TitleJinendra Stuti Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages85
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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