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________________ ( 4 ) ७८ ऋपभानन स्तवन- ७ ऋषभानन सुं प्रीतड़ी ॐ अनंतवीर्य स्तवन ७ आज ऊमाही जीभड़ी ७ आवउ मोरी सहियर सूरप्रभु० - ८० सूरप्रभ स्तवन .८१ विशाल स्तवन ८२ वज्रवर स्तवन ८३ चंद्रानन स्तवन ८४ चद्रबाहु स्तवन ८५ - भुजंग जिन स्त० ८६ ईश्वर प्रभ स्त ८७ नेम प्रभु स्तवन ८८. वीरसेन स्तवन ८६ महाभद्र स्तवन ६० देवयशा स्तवन ६१ अजितवीर्य स्त० ६२ कलश ७ आज लहाउ मई भेदो ६ अधिक विराजे वज्रधर साहिबा री ७ माहरा मन नी वातड़ी रे ७ जउ कोई चाले हो उण दिसि आदमी ७ निशिभर सूता आज मइ जी ७ श्री देवयशा श्रवणे सुण्यो ७ अजितवीरज अरिहत सु ६. वीरमान वीसे जिन वदियं रे ७ श्रीचंद्रानन चतुर विचारियै ७ सुणि सुणि मोरा अंतरजामी ७१ ७ स्वामि भुजंग विनती एक सुणउ महाराज ७२ ७ ईसर प्रभु अवधारियइ ७३ 1 ५. " ६७ ६८ ६८ ७० ७४ ७६ ७६ ७७ ८० ८० (स० १७२७ चै० सु० ८ ) ८२ ६३ मातृका वावनी ५७ ओकार अपार जगत आधार ( स० १७३८ फा० व० ८ गु० ) ६४ दोहा बावनी- ३ ओम् अक्षर सार है (१७३० आषाढ सु० १) ६४ ६५ उपदेश छत्तीसी ३६ संकल अरूप जामै प्रभुता अनूप भूप १०० i. ( स १७१३ ) १६ दोधक छंतीसी ३८ निण दिन सज्जण वीछड्या ११७
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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