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________________ [ ४ : ५८ अन्तवीर्य स्तवन ६ अनतवीरज आठमउ जिनराय, . ४४, ५६ सूरप्रभ स्तवन ६ तु तइ सहु रसनउ लाण हो रसीयाः ४५. ६० विशाल जिन स्तवन ६ सारद चंद वदन अमृत नउ , ४७ ६१ वज्रधर स्त० ६ श्री वज्रधर गुणरागी जो . ४७. ६२ चन्द्रानन स्तवन ६ चद्रानन स्वामी चंद्रथी अधिक० .४८ ६३ चद्रबाहु स्तवन ५श्रीचदवाहु तेरमा . .४४ ६४ भुजंग जिन स्तवन ६ गामागर पुरवर विहरता रे -५० ६५ ईश्वरप्रभ स्तवन ६ जगदानंद जिनंद ५१ ६६ नेमिप्रभ स्तवन ६ नेमिप्रभु सुण वीनती , ५१ ६७ वीरसेन स्तवन ६ सहीरो रे चतुर सुजाण १८ महाभद्र स्तवन ६ अढारमा साहिब हो, कीधी बात कहुँ ५३ ६६ देवयशान्तवन ६ कता सुणि-हो कहुँ इक वात.. ५४ ७० अजिन वीर्य स्तवन ६ अजितवीर जिन वीसमा रे . ५५ ७१ कलश १० मारद तुझ सुपमा उलइ रे (सं० १७४५ द्वि० ० सु० ३), ४ विहरमान वीगी (२) ७२ मीमवर स्तवन ७ सामि सीमंधर साभल उजी ७३ युगमयर स्तवन ७ प्राण सनेही जुगमंधर स्वामी ७. बाहु जिन स्तवन है तु तर सायर मुत रलियामण उ . ६० ७५ सबाह जिन स्तवन ७ चाल्हेसर सभालीयउ ७६ नुजान जिन म्न० ७ मनमोहन महिमानिलउ ७५ स्वयंप्रभ नुवन ७ माहरा मन नी वात
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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