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________________ [ ३४ । १ शान्तिलाभ (ठाकुरसी)-इनकी दीक्षा स० १७०७ फाल्गुन यदि १ को मेडता में श्री जिनरलसूरिजी के द्वारा हुई थी। २. सौभाग्यवर्द्धन (सांगा)-इनकी दीक्षा स० १७१३ अक्षय तृतीया को श्रीजिनचन्द्रसूरि द्वारा हुई थी। ३ लाभवर्द्धन ( लालचन्द )-इनकी दीक्षा भी नं० १७१३ अक्षय तृतीया के दिन सीरोही में घीजिनचन्द्रसूरिजी द्वारा हुई। ये राजस्थानी के अच्छे कवि हुए है, इनकी निम्न रचनाए उल्लेख नीय हैं। (१) विक्रम चौपाई (नौसौ कन्या खापराचोर-पंचदड-म० १७२३ भा० सु० १३ जयतारण, खंभात संघ आग्रह (२) लीलावती रास-स० १७२८ काती सु० १४ सेत्रावा (३) लीलावती (गणित) रास-म० १७३६ आपाठ वदि ५ वुध, वीकानेर। (४) धर्मवुद्धि रास-स० १७४२ सरसा . (५) स्वरोदय भापा दोहा-सं० १७५३ भादवा सुदि अक्षयराज • हेतवे। (६) पाण्डव चोपाई-स० १७६७ वील्हावास नन्थ ३७६५ (७) शकुनदीपिका चौ०-स० १७७० वै० शु० ३ गुरु न ० ५६४ अध्याय ५ (८) चाणक्य नीति । (९) विक्रम पंचदड चौ० स० १७३३ फाल्गुन (१०) छन्दोत्तम (सस्कृत छंद ग्न थ) वाकान
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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