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________________ चवीस जिन वीस विहरमान च्यारि सास्वत ३२५ । रमउ ||८|| सेन | | चंद्रबाहु श्री विमल जिनंद, सेवंता प्रभु सुरतरु कंद । स्वामि भुजंगम नाथ अनंत, तूठा आपड़ सुक्ख अनंत ॥ ७ ॥ धर्मनाथ ईश्वर जगदीस, भाव भगति सुं नामुं सीस । सोलम शांति नेमि प्रभु नमउ,, हेलई मुगति रमणि सुं कुंथुनाथ नमीयइ वीरसेन, सकल कर्मनी हणीय महाभद्र अर अढारमउ, नमउ जिम भव नवि भमउ || ६ || देवयशा नमीयइ मल्लिनाथ, मुगतिपुरीनउ एहीज साथ । अजितविर्य मुनिसुव्रत पामि, हीयड़ह धरिस्यं त्रिभुवन स्वामि १० रिभानन जिनवर नमिनाथ, एहीज माहरइ अविचल आथि || नेमि बावीसम श्रीवर्द्धमान, सेवक नइ आपड़ निज थान ॥ ११॥ चंद्रानन वीसम पास, आराध्यां पूरइ मन आस -1 वारिपेण वंदु महावीर, धीरम मेरु जलधि गभीर ॥ १२ ॥ ए चउवीस वीस जिनराय, च्यारि मिल्यां अठतालीस थाय ।' ध्याव जे मन धरिय उलास, कहड़ जिनहरख सफल भव तास १३ ॥ चौवीस जिन स्तवन ढाल || चउपनी ॥ पहिलउ प्रणमुं आदि जिणंद, वीजउ अजितनाथ जिणचंद | त्रीजउ जिनवर संभवनाथ, अभिनंदन चउथउ नाथ ॥ १ ॥ सुमतिनाथ प्रणमुं पाँचमउ, पदमप्रभ छठउ निति नमउ |
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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