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________________ शांतिनाथ स्तवनानि १७६ मार उपद्रव टालीयउ रे, देश मां थड़ सांति- रे | सां| शांति कुमर माता पिता रे लाल, नाम दीयउ घरी खांति रे || सां४ ॥ जग पूजइ पग ताहरा रे, हीयड़इ धरिय उलास रे | सां सफल मनोरथ तेहना रे लाल, पामड़ लील विलास रे || सांतु । सुरतरु सुरमणि सुरगवीरे, एक भवी यह सुक्ख रे | सां। - तु भव भव सुख पूरवइ रे लाल, टालई सगला दुक्ख रे ||सां६ ॥ तु सराइ राखड़ सहू रे, तुं प्रभु सहु नउ नाथ रे | सां हुँ पिणि सर ताहरड़ रे लाल, मुझ नइ करउ सनाथ रे ॥ सां७ ॥ भव चक्र मांहे हुं मम्मउरे, पाम्या दुक्ख अनंत रे | सां i मूंकावर दुख थी हिवइ रे लाल, कृपा करी भगवंत रे || सांवतु ॥ ग्यानी नइ कहीयड़ किसु रे, जे जाड़ सहु भाव रे | सां कहइ जिनहरख कदे सही रे लाल, चतुर न चूकड़ चात्र रे ॥ सांतु । ~ | · श्री शांतिनाथ स्तवन || ढाल - हाडाना गीत नी ॥ पूरउ म्हारा मनड़ानी आस रे । श्रचिरा ना नंदा, विश्वसेन कुल चंदा, ग्रापउ जिणेसर सांभली वीनती शांति त्रिभुवन मह जसवास रे माय || मन रगड़ सुरनर मुनिपती रे ॥१॥ जिम जिम देख तुझ दीदार रे, तिम तिम होयडर हींसह माहरउ रे । दीठा मह देव हजार रे, रूप न दीसह केह मह ताहरउ रे || २ || मोहरागारउ तु महाराज रे, कामणगारउ मन मोहि राउ रे । आनंदा | रे,
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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