SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 191
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पनरह तिथि रा दूहा वीज स अाज सहेलियां, वाळौ ऊगौ चंद । दाडिम जेहा दंतड़ा, सेज न रम्यौ कंत ॥२॥ तीज स आज सहेलियां, तीजड़ियां तिहवार । गोरी सोहै आमरण, काजळ कुंकुमहार ॥३॥ चौथ चमक्को लाइऐ, दे चूना सुचित्त । आवै धण रौ वालहौ, जो घर रौ वित्त ॥४॥ पांचम आज सहेलियां, पांचे बांध्या ठाण । उकणीया केकाण ज्यु, करै पलाण पलाण ॥५॥ छट्ट छड़ा छड़ जोवता, पिउ पाटण परदेश । चंपा जाण महक्किया, चंगा माढू देश ॥६॥ सातम दिन तौ' वडलियौ, किम वउलेसी रैन । नयणे नावै नींदड़ी, सालै घट में सैण ॥७॥ सखीया तन सिणगार सजि, खेलौ सावरण तीज । मो मन आमरण दू मरणो, देखी खिवंती वीज ॥३॥ चौथी भगवति पूजता, आवै बहुली रिद्धि । जो प्रीतम घरि आवसी, चोथि करिस प्रीत वृद्धि ।।४।। पाचमि आज सहेलिया, आई एहवे वंचि । तन मन जीवन नीद सुख, प्रीतम ले गयौ पच ॥५॥ छट्ठी सहेली साहिबौ, छाय रह्यौ परदेस । झुरि झुरि पजर हुइ रही, वालि जोवन वेस ।।६।। १. जो,
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy