SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जिन सिद्धान्त वन्ध पड़ना सो कार्य। प्रश्न-अनन्तानुबन्धी कपाय के उदय में किस २ प्रकृति का बन्ध होता है ? ____उत्तर--अनन्तानुबन्धी कपाय के उदय में पचीस प्रकृति का वन्य पड़ता है। अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया, लोभ, स्त्रीवेद, तिर्यञ्चायु, तिर्यञ्च गति, तियंचगत्यानुपूर्वी, न्यग्रोध, स्वाति, कुब्जक, वामन संस्थान, वजनाराच, नाराच, अद्ध नाराच और कोलिक संहनन, उद्योत, अप्रशस्त विहायोगति, दुर्भग, दुःस्वर, अनादेय और नीच गोत्र का बन्ध पड़ता है। प्रश्न-पच्चीस प्रकृति के बन्ध में कारण कार्य सम्बन्ध कैसे होता है ? उत्तर---अनन्तानुबन्धी कर्म का उदय सो कारण तद्प आत्मा का अनन्तानुबन्धी रूप भाव सो कार्य है एवं आत्मा [अनन्तानुबन्धी रूप भाव सो कारण और कर्म का २५ प्रकृति का बन्ध होना सो कार्य है। प्रश्न-~-अप्रत्याख्यानावरण कपाय के उदय में किस किस प्रकृति का बन्ध होता है ? ___उत्तर-अप्रत्याख्यानावरण कपाय के उदय में १० प्रकृति का बंध होता है:-अप्रत्याख्यानावारण क्रोध, मान, माया, लोभ, मनुष्य आयु, मनुष्यगति, औदारिक शरीर,
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy