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________________ [जिन सिद्धान्त ___ उत्तर--गुणहानि योग के समूह को नाना गुणहानि कहते हैं। प्रश्न--अन्योन्याभ्यस्तराशि किसे कहते हैं ? उत्तर--नाना गुण हानि प्रमाण दुए मानकर परस्पर गुणाकार करने से जो गुणनफल हो उसको अन्योन्याभ्यस्त राशि कहते हैं। प्रश्न-अन्तिम गुण हानि का परिमाण किस प्रकार से निकालना ? उत्तर--एक घाट अन्योन्याभ्यस्तराशि का भाग समय प्रबद्ध को देने से अन्तिम गुण हानि के द्रव्य का परिमाण निकलता है। प्रश्न--अन्य गुण हानियो को द्रव्य का परिमाण किस प्रकार निकालना चाहिए ? उत्तर--अन्तिम गुण हानि के द्रव्य को प्रथम गुण हानि पर्यन्त दूनार करने से अन्य गुण हानियों के द्रव्य का परिमाण निकलता है। प्रश्न-प्रत्येक गुणहानि में प्रथमादि समयों में द्रव्य का परिमाण किस प्रकार होता है ? ____उत्तर--निपेक श्राहार को चय से गुणा करने से प्रत्येक गुण हानि के प्रथम समय का द्रव्य निकलता है । और प्रथम समय के द्रव्य में से एक एक चय घटाने से
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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