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________________ जिन सिद्धान्त ( १ | बहु उत्तर - हर एक के १२, १२ भेद हैं । (२) एक, (३) बहुविधि ( ४ ) एकविधि ( ६ ) अक्षिम (७) नि सृत ( ८ ) अनिःसृत ( ६ ) उक्त २३ AAAAAJ Jars (१०) अनुक्त (११) ध्रुव (१२) अध्रुव | प्रश्न - मतिज्ञान के कुल कितने भेद हैं ? ( ५ ) प्रि उत्तर - मतिज्ञान के कुल ३३६ भेद हैं । प्रश्न- एक इन्द्रिय जीवके मतिज्ञान के कितने भेद होते है । उत्तर - स्पर्शन इन्द्रिय द्वारा मतिज्ञानके अर्थावग्रह के ४८ तथा व्यञ्जनावग्रह के १२भेद मिलकर ६० भेद होते है । प्रश्न- दो इन्द्रिय जीव के मतिज्ञान के कितने भेट होते हैं । उत्तर - स्पर्शन, रसना इन्द्रियों द्वारा मतिज्ञान के ग्रह के ६६ भेद तथा व्यञ्जनावग्रह के २४ मेट मिलकर १२० भेट होते हैं । प्रश्न- तीन इन्द्रिय जीवके मतिज्ञान के कितने भेद होते है ? उत्तर - स्पर्शन, रसना, प्राण इन्द्रियों द्वारा भतिज्ञान के अवग्रह के १४४ भेr तथा व्यञ्जनवग्रह के ३६ भेद मिलकर १८० भेद होते हैं ।
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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