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________________ जिन सिद्धान्त ] १३५ ww उत्तर - दो भेद हैं । ( १ ) सहभावी विशेष, (२) क्रमभावी विशेष | प्रश्न - सहभावी विशेष किसे कहते हैं ? उत्तर -- गुण को सहभावी विशेष कहते हैं । प्रश्न - क्रमभावी विशेष किसे कहते हैं ? उत्तर -- पर्याय को क्रमभावी विशेष कहते हैं । प्रश्न -- प्रमाणाभास किसे कहते हैं ? उत्तर - मिथ्याज्ञान को प्रमाणाभास कहते हैं । प्रश्न - - प्रमाणभास के कितने मेद हैं ? उत्तर --- तीन भेद हैं (१) संशय (२) विपर्यय ( ३ ) अनध्यवसाय | प्रश्न - संशय किसे कहते हैं ? · उत्तर -- विरुद्ध अनेक कोटि स्पर्श करने वाले ज्ञान को संशय कहते हैं, जैसे यह सीप है या चॉदी ? यह पुण्य है या धर्म है ? प्रश्न --- विपर्यय किसे कहते हैं ? उत्तर -- विपरीत एक कोटि के निश्चय करने वाले ज्ञान को विपर्यय कहते हैं, जैसे पुण्य भाव में धर्मभाव मानना, औदायिक भाव को क्षयोपशम भाव मानना । प्रश्न -- अनध्यवसाय किसे कहते हैं ?
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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