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________________ जिन सिद्धान्त १२१ प्रश्न-क्षायिक भाव उपचार से नौ प्रकार का क्यों कहा, यथार्थ में कितना है ? ___ उत्तर-वीर्यगुण की शुद्ध अवस्था में पांच भाव मानना यह उपचार है । यथार्थ में वीर्यगुण की एक ही अवस्था होती है। क्षायिक भाव निम्न प्रकार है:-- (१) क्षायिक सम्यक्त्व (२) क्षायिक चारित्र (३) क्षायिक ज्ञान (४) क्षायिक दर्शन (५) क्षायिक वीर्य (६) क्षायिक सुख (७) क्षायिक क्रिया (८) क्षायिक योग (६) क्षायिक अवगाहना (१०) क्षायिक अन्यायाध (११) क्षायिक अगुरुलधुत्व (१२) क्षायिक सूक्ष्मत्न आदि । प्रश्न-शुक्ल ध्यान कितने प्रकार के होते हैं ? उत्तर--शुक्ल ध्यान चार प्रकार का उपचार से कहा गया है (१) पृथक्त्ववित्तविचार (२) एकत्वविर्तक विचार (३) सूक्ष्मक्रियाप्रतिपाति (४) व्युपरत क्रिया निवृत्ति, ये चार भेद हैं । यथार्थ में शुक्ल ध्यान एक प्रकार का ही होना चाहिए क्योंकि चारित्र गुण की शुद्ध अवस्था का नाम शुक्ल ध्यान है । वह अवस्था ग्यारहवें, बारहवें गुण स्थान के पहले समय में हो जाती है। प्रश्न--शुक्लध्यान और किस अपेक्षा से कहा है ? उत्तर--एकत्व वितक विचार नाम का शुक्ल ध्यान ज्ञान, दर्शन तथा वीर्यगुण की शुद्धता की अपेक्षा से कहा
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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