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________________ जिन सिद्धान्त 1 ११६ www (५) मान उपशम (६) माया उपशम (७) लोभ उपशम | इस भाव का नाम धर्म भाव है । ! प्रश्न --- धर्मध्यान किसे कहते हैं ? उत्तर -- धर्म ध्यान दो प्रकार का कहा गया है। (१) निश्चय धर्म ध्यान (२) व्यवहार धर्म ध्यान । प्रश्न- निश्चय धर्मध्यान किसे कहते हैं ? उत्तर -- धर्मध्यान का चार पाया माना गया है। (१) मिथ्यात्व अनन्तानुबंधी का अभाव सो प्रथम प या अप्रत्याख्यान कषाय का अभाव सो दूसरा पाया प्रत्याख्यान कपाय का अभाव सो तीसरा पाया और (४) प्रमाद का अभाव सो चौथा पाया । प्रश्न- व्यवहार धर्म ध्यान किसे कहते हैं ? 1 t 13. उत्तर -- निश्चय धर्मध्यान के साथ जो पुण्य भाव है, उसे व्यवहार धर्मध्यान कहा जाता है । आज्ञा विचय, 41 यः विचय, विपाक निचय और संस्थान विचय को शास्त्र में धर्म ध्यान कहा है, वह उपचार से कहा है अर्थात् वह व्यवहार धर्मध्यान है । व्यवहार धर्मध्यान मिथ्या दृष्टि को भी होता है और निश्चय धर्मध्यान सम्यक् दृष्टि को ही होता है । 1 प्रश्न -- धर्मध्यान कौन से भाव में होता है ! ر 116
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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