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________________ Swamirmire M MMMMummarwdeow- .... wwwvwwws हजूरी प्रभाती पद-संग्रह दिवसप्रबोधप्रसारन हैं । जाके चरन शरन सुरतरु, वांछित शिवफल विस्तारन हैं ॥ जयजिन० ॥३॥जाको शासन सेवत मुनि जे, चार ज्ञानके धारन हैं । इंद्र फणींद्र मुकुटमणि दुति जल, जापद कलिल पखारन हैं ।। जय जिन ॥ ४॥ जाकी सेव अछेवै रमाकर, चहुं. गति-विपति-उधारन हैं। जा अनुभवधनसार सु आकुल, तापकलाप निवारन हैं॥ जय०॥५॥ द्वादश मो जिन चंद्र जासवर, जस उजासको पार न है। भक्तिभारतें नमें दौलके चिर-विभावदुख टारन हैं । जयजिन ॥६॥ ... [५] .. कुंथुनके प्रतिपाल कुंथु जग, तार सार गुन घारक हैं। वर्जितग्रंथ कुपंथवितर्जित, अर्जितपथ अमारक हैं ॥ कुंथुनके० ॥ टेक ॥जाकी १ पाप २ अक्षय (मोक्ष ) लदमीकी करनेवाली ३ जिनका अनुभवरूपी मलयागिरि चंदन | ४.छोटे ५ जीबोंके भी ५ परिग्रह रहित । ६ अहिंसामार्गके आर्जन करनेवाले ।
SR No.010373
Book TitleJainpad Sagar 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Baklival
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages213
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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