SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 110
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ wwwww जैनपदसांगर प्रथमभाग (९१). . · मानुष जनम सफल भयो आज।मानुष०ाटेक सीस सफल भयो ईस नमतही, श्रवन सफल जिन-वचन समाज ॥ मानुष० ॥१॥ भोल सफल जु दयाल तिलकतें, नयन सफल देखे जिन राज।जीभ सफल जिनवान गानतें, हाथ सफल कर पूजन साज ॥ मानुष०॥२॥ पांय सफल जिन भौन-गौनत, काय सफल नाचे बल गाज। वित्त, सफल. जो प्रभुको लागै, चित्र सफल प्रभु ध्यान इलाज ।। मानुष०॥३॥ चिंतामन चिंतत वरदाई, कलपवृच्छ कलपनतें काज। देत अचिंत अकल्प महा सुख, द्यानत भक्ति गरीबनवाज ॥ मानुष०॥४॥ . . (९२) . अपनो जानि मोहि तारले, शांति कुंथु अर देव ॥ अपनो० ॥ टेक ॥ अपनो जानिके भक्त १ भगवानको। २. ललाटं | ३भगवानके मंदिर जानेसे ।
SR No.010373
Book TitleJainpad Sagar 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Baklival
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages213
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy