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________________ ( १० ) raatar है वहां धर्मशाला आदिमें ठहरे ॥ मंदिर तेरा हैं | परवार श्रावकोंके पच्चीस घर हैं ॥ खंडेल - वाल श्रावकों के घर हैं ॥ पुरवार श्रावकोंके ॥ लाड श्रावकोंके ॥ धक्कड श्रावकोंके घर हैं इन आदि के जातके श्रावकों के घर हैं | ये सहर बहुत बडा है ॥ १४ ॥ नागपुर से टिकट कामवीकी छावनीका लेवे नौ मील है | मंदिर पाँच हैं | परवार श्रावकोंके तीस घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकों के तीस घर हैं । इहांसे रामटेककी यात्रा करनेको जावे ॥ गाडीमाडे करे ॥ पूजनकी सामग्री लेवे ॥ खानेका सामान पाँच दिनका लेवे ॥ १५ ॥ कामठी की छावनी से पंदरा मील रामटेक नगर है | यह अतिशय क्षेत्र है बारों महीने यात्रा करनेकों आते हैं ॥ इहां मंदिर बडे छोटे आत हैं | इनमें शांतिनाथ स्वामीका मंदिर बहुत बडा है ॥ इनमें शांतिनाथ स्वामीकी प्रतिमा तीन कायोत्सर्ग हैं इनमें बिचली प्रतिमा बहुत बड़ी है सो सीढी लगाके प्रक्षाल करते हैं ॥ इहांसे कामठीकी छावनी आवे ॥ १६ ॥ . कामवीकी छावनी से टिकट नांदगांवका दिनके बारा बजे पीछे लेवे रेलसे गांवमें जाके धर्मशाला में ठहरे ॥ मंदिर एक है | खंडेलवाल श्रावकोंके साठ घर अंदाज हैं | इनकी मारफत गाडीमाडे ठेके में करे | रोजिन " }
SR No.010370
Book TitleJain Yatra Darpan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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