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________________ (७६) ७-श्रीमन्धरस्वामीके नाम खुली चिड़ियां। हमने इस अङ्कसे उक्त शीर्षककी चिट्टियां प्रकाशित करना आरंभ की है । इन चिट्टियोंके लेखक श्रीयुक्त वाड़ीलाल मोतीलाल शाह हैं । आप जैनसमाजमें एक स्वतंत्र और उदारचरित लेखक है । आपके विषयमें हम अधिक क्या कहें, निन्होंने आपके द्वारा सम्पादित जैनसमाचार और जैनहितेच्छु पत्र पढ़े हैं, वे आपकी योग्यता और विद्वत्ताका अनुमान स्वयं कर सकते है। इसके अतिरिक्त ये चिट्टिया भी आपकी प्रतिभाशालिनी बुद्धिका परिचय करा सकती है। इन चिठ्ठियोंको लिखकर आपने जैनसमाजको बहुत कुछ सचेत किया है। इनमें जैनसमानके अधापतित अवस्थाका चित्र बड़ी मार्मिकतासे अङ्कित किया गया है। पढनेसे हृदयपर एक गहरी चोंट लगती है। प्रकाशित चिट्ठीको पढकर पाठक स्वय अनुभव कर सकेंगे । जातिकी दशाका ज्ञान करानेके लिए हम क्रमसे इन्हें प्रकाशित करेंगे। हमारी जातिकी इस समय बडी बुरी हालत हो रही है। हमें आशा है कि जातिके शभचिन्तक अपनी पतित अवस्थापर अवश्य ध्यान देकर उसके उद्धारका उपाय करेंगे। - हमें यह जानकर वहा दुःख हुआ कि उक्त महानुभावने समाज सेवासे अपना हाथ खींच लिया है। इसमें सन्देह नहीं कि इसका कुछ कारण अवश्य है। पर हम यह कहना भी अनुचित नहीं समझते कि जातिको आप सरीखे नररत्नोंकी वडा भारी जरूरत है। आप सरीखे स्वाधीनचेताहीके द्वारा जातिका भविष्य अच्छा बन सकेगा । हम आशा करते है कि आप हमारी प्रार्थनापर ध्यान देंगे ।
SR No.010369
Book TitleJain Tithi Darpan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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