SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ५) अनुभवानन्द-लेखक श्रीयुक्त ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी ! प्रशाक जनमित्र कार्याच्य । यह नैनमित्रके उपहारकी दूसरी पुस्तक है । विषय नामहीमे स्पष्ट है । पुस्तक अध्यात्मप्रेमियोंने वही कामकी है । वे इसे एक वक्त लवन्य परें । यह हमारा उनसे अनुरोध है। लिखितमात्राये-जैनियों और आर्यसमानियों में जो लेखिक सान्नार्य चल रहा था उसीका इस पुस्तकमें संग्रह किया गया है। किसकर पत प्रबट और किमका निर्बल है इस विषयमें हम कुट न लिख कर इसक्न मार विारगीलंक पर छोड़ते हैं। पुस्तक की कीमत दो आना है। मिटनका पता वा. चन्द्रलेन मैन वैद्य इटावा सिट। पष्टवार्षिक विवरण-मारतवर्षीय ननशिनाप्रचारकसमितिकी छठे वर्षकी रिपोर्ट । इसके दखनसे समितिक कार्यकर्तामोड असीम साहस परिचय मिटता है । जैनियोंकी सत्र संस्थाऑमें हमारे विश्वासक अनुमार यही एक उत्तम संस्था है । यह इसीके साहसका काम है जो पास एक पैमा न होनेपर मी वार्षिक वनट १९०००, का पास करती है । नानिकी सच्ची और निकामसेवा करना इसको कहते हैं। क्या हमारी बड़ी बड़ी संस्थाएँ इस आदर्श संस्थाके द्वारा कुछ शिक्षा ग्रहण करेंगी ! सप्तमवीय रिपार्ट-दिगम्बर जैनप्रान्तिकसमामालवेका सात वर्षका संक्षिप्त हालाइसके पढ़नसे जान पड़ा कि समाने सात वर्षों में कोई मारी महत्वता काम नहीं किया । हां केवट उपदेशक फण्डका काम और और संस्थानी असेना अच्छा चला। पर अब उसमें मी विन आता नान पड़ता है। क्योंकि उपदेशक अण्डमें जितना
SR No.010369
Book TitleJain Tithi Darpan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy