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________________ पर विस्तृत प्रकाश डाला है। यह अन्तर्जातीय विवाह विच्छेद का कारण नही बना, बल्कि परस्पर एक दूसरे को न समझ सकने और हर स्थिति में सामंजस्य का अभाव ही विच्छेद का कारण था। अन्तर्जातीय विवाह की सफलता और सार्थकता ने छुआछूत जैसे संकीर्ण विचारों को समाज में पनपने नहीं दिया। जैनेन्द्र ने अपने साहित्य में जाति-भेद के प्रश्न को साधारण समझकर छोड़ दिया है। उसी प्रकार समाज के अछूत वर्ग पर भी अलग से विचार नहीं किया है। सत्य यह है कि वे मनुष्य को मात्र 'व्यक्ति' के रूप में जानने का प्रयास करते हैं। इसलिए उनकी दृष्टि में जाति-भेद अथवा ऊँच-नीच का भेद विशेष महत्व नहीं रखता। अनमेल विवाह भारतीय समाज में अनमेल विवाह एक भयंकर सामाजिक दोष है। नारी परतन्त्र है, अतः बहुधा उसी का शोषण हुआ है। यही कारण है कि भारतीय समाज में अनमेल विवाह का रूप बहुधा बृद्ध विवाह ही होता है, जिसमें किशोरावस्था की लड़कियों का विवाह वृद्ध पुरूषों से होता है। वैवाहिक समस्या का इस प्रकार महत्वपूर्ण पहलू अनमेल विवाह हैं, जो दहेज प्रथा तथा आर्थिक निर्धनता के कारण समाज में प्रचलित हुआ। अनमेल विवाह की परिणति अंततः किसी न किसी रूप में दुःखद ही हुआ करती हैं। ऐसे विवाह में स्त्री का आन्तरिक असन्तोष खुलकर भले ही व्यक्त न हो पाये, परन्तु जीवन भर उसे अन्दर-अन्दर घुटना पड़ता है। ‘त्यागपत्र' उपन्यास में जैनेन्द्र मृणाल के अनमेल विवाह से न केवल सामाजिक समस्या को प्रस्तुत करते हैं, वरन नारी धर्म, मानव धर्म तथा पातिव्रत्य धर्म जैसा गम्भीर सामाजिक-सांस्कृतिक प्रश्न भी उपस्थित करते हैं। मातृ-पितृ -विहीन मृणाल अपने भाई तथा भाभी की आश्रित है। वह शीला के भाई से [52]
SR No.010364
Book TitleJainendra ke Katha Sahitya me Yuga Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjay Pratap Sinh
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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