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________________ अध्यात्म और दर्शन की तरह 'सत्यम शिवम - सुन्दरम्' का निर्वाह करता है। वह सांसारिक बीतरागी और संन्यासी होते हुए भी संसार के प्राणियों के लिए संसारी, अनुरागी या कर्मयोगी होता है। युग चेतना को वाणी प्रदान करने वाला साहित्यकार युग निर्माता होता है, वह साहित्य में युग चित्रण करता है और अपने समय के सामाजिक जीवन को एक नयी गति और नवीन दिशा प्रदान करने वाला होता है । कथा साहित्य में युग चेतना का स्वरूप कथा साहित्य में यथार्थ जीवन का चित्रण होता है, इसलिए इसे मानव-जीवन की निकटतम् विधा स्वीकार करना पड़ता है। इसमें मानव जीवन की केवल धरोहर ही सुरक्षित नहीं रहती है, अपितु उसमें जीवन के सजीव चित्र विभिन्न रूपों में दृष्टिगोचर होते हैं । इस प्रकार मानव जीवन की आरम्भिक रूपरेखा का विधान करने वाली विधा कथा साहित्य है, जिसका प्रगाढ़ सम्बन्ध मनुष्य के जीवन एवं उसके युग से होता है। कथाकार के साहित्य में युग का सर्वांगीण रूप सुरक्षित रहता है। उसकी विवेचना कर हम युग का परिचय प्राप्त कर लेते हैं । यद्यपि कथाकार का जीवन के प्रति निश्चित दर्शन एवं लक्ष्य होता है जिसे वह अपनी कथा के माध्यम से प्रस्तुत कर सत्य का आभास कराता है, तथापि कथा साहित्य मानव - चरित्र एवं उसके यथार्थ जीवन के कार्यों की अभिव्यंजना करने वाली विधा है । यह सत्य है कि कथा साहित्य में लेखक के मन की धारणाएँ एवं इच्छाएँ अभिव्यक्त होती हैं परन्तु वह केवल उसके मन की इच्छाओं और धारणाओं की अभिव्यक्ति का साधन मात्र नही हैं, उसमें इतनी विशालता एवं [23]
SR No.010364
Book TitleJainendra ke Katha Sahitya me Yuga Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjay Pratap Sinh
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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