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________________ बिल्ली-बच्चा घर में एक शरबती नाम की लड़की थी। पीछे से वह मोटी हो गई, चार बच्चों की माँ बनी और चल बसी । सुनते हैं, बड़ी होकर अपने तेज मिजाज़ के लिए सरनाम थी। 'सुनते हैं। मुझे इस लिए कहना होता है कि यद्यपि वह मेरी लड़की थी, पर मेरे सामने तो उसके मिजाज की तुरशी प्रकट होते हुए मैंने नहीं पाई। हाँ, शरीर से स्थूल, तबियत में और आदत में आराम-पसन्द वह पीछे से अवश्य हो गई। ___ मैं तब की बात कहता हूँ जब शरबती बहुत छोटी थी। कोई तीन वर्ष की होगी। उस समय वह बहुत दुबली-पतली थी, तोतली बोलती थी और बैन उसकी बड़ी मीठी लगती थी। लड़कियों में छुटपन से कुछ माँ-पन होता है। अपने छोटे भाई को, जिसका नाम बिज्जू भी था, बिज्जी भी था और विजयकुमार भी था, उसको वह बहुत प्यार करती थी। पैसा मिलता तो सैंतकर अपने बिज्जू के लिए रख लेती। मिठाई मिलती, तो भी स्वयं न खाकर उसी के लिए अलग धर छोड़ती। कई बार देखा गया कि आले की जिस २१२
SR No.010355
Book TitleJainendra Kahani 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvodaya Prakashan
PublisherPurvodaya Prakashan
Publication Year1953
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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