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________________ ( ७३ ) भोज्य सिद्ध कर दिया जायगा । यदि एक पुरुष के सगम से म्त्री गूंठी हो जाती है तो एक स्त्रीके सगम से पुरुष भी गूंठा हो जाता है । इसलिये अगर गूंठी स्त्री को सेवन करने वाला चांडाल या कुत्ता है तो जूंठे पुरुषको सेवन करने वाली चांडालिन या कुतिया है । अगर दुमरी बात ठीक नहीं तो पहिली बात भी ठीक नहीं है। भोज्य भोजकक सम्बन्ध में यह ध्यान में रखना चाहिये फियह उपभोग का प्रकरण है। भोजन वगैरह तो मोग हैं और वस्त्र वगैरह उपभोग हैं । स्त्री के लिये पुरुष उपभोग सामग्री है और पुरुष के लिये स्त्री उपभोग सामग्री है। इसलिये यहाँ घुटी थाली श्रादि भोग सामग्री का उदाहरण ठीक नहीं हो सफ्ता है। उपभोग में यह नियम नहीं है कि एक सामग्री का एक ही व्यक्ति उपभोग करे । जिस विस्तर पर एक आदमी सो लेता है उसी पर अगर दूसरा लेटजावे तो वह गूंठा खानेवाला या उसके समान न कहलायेगा। एक सावुन की चट्टी का चार श्रादमी उपयोग कर सकते हैं । इसी प्रकार कुर्सी, टेबुल, पलंग, चौकी, मोटरगाड़ी, रेलगाडी, चटाई, साइकिल, मोती, माणिक आदि वस्तुओका अनेक श्रादमी उपयोग कर सकते हैं, लेकिन इससे कोई जूंठन खाने वाले के समान नहीं कहलाता। इसलिये अगर थोड़ी देर के लिये स्त्री को भोज्य (उपभोगसामग्री) मान लिया जाय तो भी उसके पुनर्विवाह को घृणित नहीं कहा जा सकता। जिस समय माता. अपने बच्चे की सेवा करती है, उस समय माता बच्चे की उपभोग सामग्री है, इसलिये क्या माता अब दूसरे बच्चे की सेवा नहीं कर सकती? क्या वह जूंठी हो गई ? एक नौकर अपने मालिक के हाथ पैर आदि दवाता (सवाहन करता) है तो क्या वह जूंठा होगया ? भोग सामग्री
SR No.010349
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year1931
Total Pages247
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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