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________________ ( १६६) अधिक उमर के कुमारों की संख्या ६३ हजार से अधिक के स्थान में दो हजार से भी कम रह जाय । जब तक विधवाविवाह की सुप्रथा का प्रचार न होगा तब तक यह विषमता दूर नहीं हो सकती। अन्तजातीय विवाह से भी कुछ सुभीता हो माता है क्योंकि करीव ४२०० कुमारियाँ ऐसी है जिनकी उमर २० वर्ष से ज्यादा होगई है परन्तु उनका विवाह नहीं हुआ । छोटी जातियों में योग्य वर न मिलने से यह परिस्थिति पैदा हो गई है । वडी जानियों को भी इस कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अन्तर्जातीय विवाह का प्रचार करने के साथ विधवा विवाह के प्रचार की मी ज़रूरत है क्योंकि विधवाविवाह के बिना अविवाहितों की समस्या हल नहीं होसकती।। श्रीलालजी यह स्वीकार करते है कि 'लडका लडकी समान होते हैं परन्तु लोग अविवाहित इमलिये रहते है कि वं गरीव है। इस भले आदमी को यह नहीं सूझता कि जब लडका लडकी समान है नी गर्गयों को मिलने वाली लड. कियाँ कहाँ चली जाती है ? भले श्रादमी के लडके भी तो एक स्त्री रखते हैं। हाँ, इसका कारण यह स्पष्ट है कि विधुर लोग कुमारियों को हजम कर जाते है । ऐसे अविवाहित कुमारों की संख्या बहुत ज्यादा है जिनके पास पच्चीस पचास हजार रुपये की जायदाद भले ही न हो या जो हजार दो हजार रुपये देकर कन्या खरीदने की हिम्मत न रखते हों फिर भी जा चार प्रादमियों की गुजर लायक पैदा कर लेते हैं। लडकियों को लखपति लेजॉय या करोड़पति ले जॉय परन्तु यह स्पष्ट है कि विवाहयोग्य उमर के ६३ हजार कुमारों की लडकियों नहीं मिल रही है। जब इनके लिये लड़कियों है ही नहीं तव ये लखपति भले ही बन जॉय परन्तु इन्हें अविवाहित रहना
SR No.010349
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year1931
Total Pages247
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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