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________________ (१४३) बारह वर्ष पूरे होने का नियम पल नहीं माना । ये पण्डित लोग शारदा बिल के विरोध में कहा करते हैं कि १४ वर्ष की उमर रक्खी जायगी ना साइन न मिलने से १७ वर्ष की उमर होजायगी । परन्तु चारह वर्षके नियम के अनुसार भी तो साइत न मिलने पर १५ वर्षकी उमर होजायगी। पुरुषों के लिये १६ वर्ष से ज़्यादा उमर में विवाह न करने का विधान किया जाय नो विधुर विवाह ओर बहुविवाह बन्द ही हाजायें, जिसके कि ये पण्डित हिमायनी है।। आक्षेप (ख) बालविवाह को धर्मविरुद्ध और नाजा. यज कगर देने से स्त्रियाँ छीनी जायेंगी (श्रीलाल) समाधान-त्रियाँ छीनी न जायँगी परन्तु उन दोनों को फिर सचा विवाह करना पड़ेगा। इससे कोई नाजायज विवाह (वालविवाह) के लिये प्रायोजन न करेगा। आक्षेप, ग)-अगर भूल से माता पिता ने बालविवाह कर दिया तो वह टूट नहीं सकता। भूल स विष दे दिया जाय नो भी मरना पड़ेगा, धन चोरी चला जाय तो बह गया ही कहलायगा (श्रीलाल) ममाधान-विप देने पर चिकित्सा के द्वाग उसे हटाने की चेता की जाती है। चोरी होने पर चोर को दण्ड देन की और माल बरामद करने की कोशिश की जाती है। बालविवाह हो जाने पर फिर विवाह करना मानो चोरी का माल बरामद करना है। आक्षेपक के उदाहरण हमारा ही पक्ष समर्थन करते हैं। आक्षेप (घ)-गांधर्व विवाह का उदाहरण यहां लागू नहीं होना क्योंकि यहाँ ब्राह्मविवाह का प्रकरण है । (श्रीलाल) समाधान-हमने कहा था कि विवाह में किसी खास विधिको आवश्यकता नहीं । गांधर्व विवाह में शास्त्रीय विधि
SR No.010349
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year1931
Total Pages247
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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