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________________ क्या उसका भाव अपमान करने का है ? कदापि नहीं । एक संक्रामक रोगी से दुसरा नीरोग व्यक्ति अलग रहता है तो क्या उसका भाव उससे घृणा करने का होता है ? कदापि नहीं उसका उद्देश्य केवल आत्म रक्षा है। आज भिन्न जातीय होते हुये भी क्या किसी का कोई अपमान करता है ? यदि यही बात है तो नाई के साथ विवाह संबंध भोजन व्यवहार न होते हुये भी विषाहादि अवसरों पर तिलक निकालकर क्यों रुपया नारियल दिया जाता है ? विवाह में वेदिका के लिए बर्तन लाते समय कुम्हार का क्यों सत्कार किया जाता है ? श्री महावीरजी में रथ यात्रा के समय सबसे पहले चमार का सत्कार क्यों किया जाता है ? वास्तत्र में अपनों अपनी जगह सभो सम्मान के पात्र होते हैं। कोई किसी का अपमान नहीं करता, न कोई सहन कर सकता किन्तु सभी सबका सम्मान करते है इसलिए जातिमद का जो अर्थ किया जा रहा है वही भ्रमात्मक और जनता को गुमराह करने वाला है। मद को बुरा बतलाया गया है जिसका मद होता है उसको तो नहीं। दि जिसका मद होता है वह भी त्याज्य ओर बुरी चीज हो तो इन पाठ मदों में सब से पहले झान मद है तो ज्ञान का ही प्रभाव होजाना चाहिये और समस्त स्कूल कालेज विद्यालयादि शास्त्रादि ज्ञान के साधन है उनको नष्ट कर देना उचित होगा परन्तु बात न ऐसी है और न हो ही सकती
SR No.010348
Book TitleJain Dharm aur Jatibhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIndralal Shastri
PublisherMishrilal Jain Nyayatirth Sujangadh
Publication Year
Total Pages95
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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