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________________ विविध ३५१ कई गुफाएँ है जिनमें बहुतसी प्राचीन प्रतिमाएँ हैं। गुफाओंके आसपास ५२ मन्दिर हैं। यहाँसे बहुतसे मुनियोंने मोक्ष प्राप्त किया था। भातकुली यह अतिशय क्षेत्र अमरावतीसे १० मीलपर है। यहाँ ३ दि० जैनमन्दिर हैं जिनमेंसे एकमें श्रीऋषभदेव स्वामीकी पद्मासनयुक्त तीन फुट ऊँची मूर्ति विराजमान है। इसकी यहाँ बहुत मान्यता है। प्रति वर्ष कार्तिक बदी पंचमीको मेला भरता है। रामटेक-यह स्थान नागपुरसे २४ मीलपर है। यहाँ दि० जैनोंके आठ मन्दिर हैं, जिनमेंसे एक प्राचीन मन्दिरमें सोलहवें तीर्थक्कर श्री शान्तिनाथ स्वामीकी १५ फीट ऊँची मनोज्ञ प्रतिमा विराजमान है। राजपूताना व मालवा प्रान्त श्रीमहावीरजी-पश्चिमी रेलवेकी नागदा-मथुरा लाईनपर 'श्रीमहावीरजी' नामका स्टेशन है। यहाँसे ४ मीलपर यह क्षेत्र है । यहाँ एक विशाल दिगम्बर जैन मन्दिर है, उसमें महावीर स्वामीकी एक अति मनोज्ञ प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा पासके ही एक टीलेके अन्दरसे निकली थी। इसे जैन और जैनेतर-खास करके जयपुर रियासतके मीना और गूजर बड़ी श्रद्धा और भक्तिसे पूजते हैं । यात्रियोंका सदा तांता लगा रहता है। प्रतिवर्ष बैसाख बदी एकमको महाबोर भगवानकी सवारी रियासती लवाजमेंके साथ निकलती है । लाखों मीना एकत्र होते हैं । वे ही सवारीको नदी तक ले जाते हैं। उधर गूजर तैयार खड़े रहते हैं । मीना चले जाते हैं और गूजर सवारीको लौटाकर लाते हैं । फिर गूजरोंका मेला भरता है। चाँद खेड़ी-कोटा रियासतमें खानपुर नामका एक प्राचीन नगर है। खानपुरसे २ फागकी दूरी पर चाँद खेड़ी नामकी
SR No.010347
Book TitleJain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year1966
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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