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________________ ३२ जैनदर्शन बालप्रयागाभास आगमाभास संख्याभाम विषयाभास ब्रह्मवाद-विचार शब्दाद्वैतवाद-समीक्षा ४०३ साख्यक प्रधान सामान्यवाद की मीमांसा ४१८ ४०३ विशेष पदार्थवाद ४२७ ४०३ (क्षणिकवादमीमांसा) ४०४ विज्ञानवादको समीक्षा ४३५ शून्यवादको आलोचना ४३५ ४०५ उभयस्वतन्त्रवादमीमांसा ४३९ ४१५ फलाभास २. नयविचार ४४१-४७९ ४५७ सुनय-दुर्नय ४६१ नयका लक्षण ४४१ व्यवहार-व्यवहाराभास नय प्रमाणकैदेश है ४४२ ऋजुसूत्र-तदाभास ४५९ ४४३ शब्दनय और शब्दाभास दो नय द्रव्याथिक और ___ समभिरूढ और तदाभास ४६३ पर्यायार्थिक ४४६ एवंभूत तथा तदाभास ४६४ परमार्थ और व्यवहार ४४७ नय उत्तरोत्तर सूक्ष्म और द्रव्यास्तिक और द्रव्याथिक ४४८ अल्पविषयक है ४६५ तीन प्रकारके पदार्थ और अर्थनय शब्दनय ४६६ निक्षेप ४४९ द्रव्याथिक-पर्यायाथिकमे नयों तीन और सात नय ४५१ का विभाजन ४६६ ज्ञाननय, अर्थनय और शब्द- निश्चय-व्यवहार ४६७ नयोंका विषय ४५२ द्रव्यका शुद्ध लक्षण ४७२ मूल नय सात ४५२ त्रिकालव्यापि चित् ही लक्षण ४७३ नैगमनय ४५३ निश्चयका वर्णन असाधारण नगमाभास ४५४ लक्षणका कथन है ४७६ संग्रह-संग्रहाभास ४५५ पंचाध्यायीका नयविभाग ४७७
SR No.010346
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1966
Total Pages639
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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