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________________ ( १३७ ) . बच गया। ऐसी दशा में चोर को चोरी त्यागने का जो उपदेश - दिया गया, उस उपदेश से स्वामी का भी हित हुआ। चोर का भी हित हुआ, और धन के दोनों ही व्यक्ति पाप से बचे। यह क्या बुरा हुआ ? C यही बात बकरे को मारने वाले और बकरें के सम्बन्ध में भी समझो | मारने वाले को न मारने के लिए जो उपदेश दिया गया, उस उपदेश से मारने वाला भी पाप से बचा और बकरे की भी जीवन-रक्षा हुई, वह आर्त्तध्यान के पाप से बचा । इसमें क्या बुराई हुई ? तेरह - पन्थी लोग व्यभिचारी पुरुष और व्यभिचारिणी स्त्री का उदाहरण देते हैं । हम इस उदाहरण को भी अनुकूल रूप में रखते हैं ।' मानलो कि एक व्यभिचारी पुरुष अपनी कुल्टा प्रेयसी के साथ व्यभिचार करने के लिए जा रहा था । मार्ग में महात्मा मिले, जिनके उपदेश से उस पुरुष ने पर- स्त्री गमन का त्याग कर दिया । फिर वह पुरुष उस व्यभिचारिणी स्त्री के पास गया । उसने व्यभिचारिणी स्त्री को महात्मा द्वारा दिया गया उपदेश भी सुनाया और उससे यह भी कहा, कि मैंने महात्मा से व्यभिचार का त्याग कर लिया है। यह सुनकर व्यभिचारिणी स्त्री के मन में व्यभिचार से घृणा हुई, वह भी व्यभिचार के दुष्फल से भय 4 भीत हुई। अतः उस व्यभिचारिणी खो ने भी महात्मा के पास
SR No.010339
Book TitleJain Darshan me Shwetambar Terahpanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankarprasad Dikshit
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1942
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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