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________________ २२० उत्तरज्झयणं पंचविहं अन्तरायं एए तिन्नि वि कम्मसे जुगवं खवेइ । तओ पच्छा अणुत्तरं अणंतं कसिणं पडिपुण्णं निरावरणं वितिमिरं विसुद्धं लागालोगप्पभावगं केवलवरनाणदंसणं समुप्पाडेइ । जाव सजोगी भवइ ताव य इरियावाहयं कम्मं वन्धइ सुहफरिसं दुसमयठिइयं । तं पढमसमए वद्धं विइयसमए वेइयं तइयसमए निज्जिण्णं तं वद्धं पुटु उदीरियं वेइयं निज्जिण्णं सेयाले य. अकम्मं चावि भवइ। सू०७३-~-अहाउयं पालइत्ता अन्तोमुहत्तद्धावसेसाउए जोगनिरोह करेमाणे सुहमकिरियं अप्पडिवाइ सुक्कज्झाणं झायमाणे तप्पढमयाए मणजोगं निरुम्भइ २ त्ता वइजोगं निरुम्भइ २ त्ता आणापाणुनिरोहं करेइ २ त्ता ईसि पंचरहस्सक्खरुच्चारधाए य णं अणगारे समुच्छिन्नकिरियं अनियट्टिसुक्कज्झाणं झियायमाणे वेयणिज्ज आउयं नाम गोत्तं च एए चत्तारि वि कम्मसे जुगवं खवेइ। सू० ७४-तओ ओरालियकम्माईच सव्वाहि विष्पजहणाहिं विप्पजहित्ता उज्जुसेढिपत्ते अफुसमाणगई उडढं एगसमएणं अविग्गहेणं तत्थ गन्ता सागारोव उत्ते सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिनिवाएइ सव्वदुक्खाणमन्तं करेइ ।। एस खलु सम्मत्तपरक्कमस्स · अज्झयणस्स अट्ठ समणेणं भगवया महावीरेणं आघविए पन्न विए परूविए दंसिए उवदंसिए । -त्ति बेमि ॥
SR No.010329
Book TitleJainagam Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhileshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages383
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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