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________________ ( ह ) के प्रभावक चरित्र - रेखाओं से अपने जीवन-पथ को चिह्नित कर लीजिये और फिर निशद्ध हो कर जैन जीवन - वीर जीवन का प्रकाश दुनियां में फैल जाने दीजिये । इसका परिणाम यह होगा कि हम और आप कवि के राग में लय मिला कर आकाश गुँजाते मिलेंगे कि "यह थे वह वीर जिनका नाम सुन कर जोश आता है । रंगों में जिनके अफसाने से चक्कर खून खाता है ॥' x x x 'इसी कौम में ही चौवीस तीर्थकर हुये पैदा. जहा में आज तक वजता है जिनके नाम का डका । समझते थे अपना धर्म हर एक जीव की रक्षा, निछावर ये दया पर, बल्कि वह सौ जान से शैदा ॥ xx x x " अव तक धाक इन बॉके दिलेरों के शुजात की, लगी है सुफए तारीस पर मोहर शहादत की ।' . x X ( २ ) वीराग्रणी श्री ऋषभदेव । • 'नामे सुताः स वृपभो मरुदेवीसूनुर्या वे चचार मुनियोग्यचर्याम् ।' - भागवतपुराणे । सभ्यता का अरुणोदय था । उस समय लोगों को रहनसहन और करने धरने का इतना भी ज्ञान नही था, जितना
SR No.010326
Book TitleJain Veero ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1931
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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