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________________ ट्रंकों के तीर्थकरों नाम के नाम २० सुवर्णभद्र पार्श्वनाथ नम्बर. नोट- पर्वतोंकी चोटीको ड्रंक या कूट कहते हैं दिल्ली से हिंडौनरोड से चांदनपूर से हिंडौन रोडसे जयपुर से अजमेर से चित्तौड़ से ( ४१ ) कितने मुनि मोक्ष गये चोरासीलाख कोटिको कोटिसे गुणाकरने को फोड़ा कोड़िक हते हैं कोड़ि तथा कोटि को ढ़ सख्यावाचक शब्द है चादनपुर हिंडौन रोड जयपुर अजमेर चित्तौड़ उदयपुर श्री ऋषभदेव तीर्थंकरसे अंत तक महावीर स्वामीपर्यंत वर्त्तमान चोवीसी में इतने मुनि मोक्ष गये हैं. श्री गिरनारजी तरफकी यात्रा । बड़ी । हिंडौन रोड ( रेलगाड़ी.) ११४ मील ३२ दर्शन करनेका फल. ७६ ८४ दोगतिका बंध छूट जाता है ११५ ६९ सोलापहर वार प्रका रके अहार तजनेको होता है. एक प्रोषध व्रत मील ( बैलगाड़ी ) "" मील ( रेल ) मील ( रेल ) मील ( रेल ) मील ( रेल )
SR No.010325
Book TitleJain Tirth Yatra Vivaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDahyabhai Shivlal
PublisherDahyabhai Shivlal
Publication Year
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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