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________________ श्री सम्मेद शिखर व उसके आस पासके तीर्थोंका परिचय । ___ पश्चिमसे आनेवाले जो भाई काशी (वनारस) आवें वे यदि सीधे बनारससे सम्मेदशिखर आना चाहते है तो ईशरी स्टेशनका टिकट लेवें और यदि वीचमें तीर्थ करते हुए आना चाहें तो इस प्रकार चलें । वनारससे आरा का टिकिट लेवें, आरामें चौकपर बाबू हरप्रसादनीकी धर्मशाला स्टेशनसे करीव १ मीलकी दूरीपर है वहां जाकर ठहरें। यहां वहत मनोज्ञ मंदिर और चैत्यालय है, यहांपर स्वर्गीय दानवीर बाबू देवकुमारजी एक सरस्वती भवन खोल गये हैं, जिसमें इस समय हजारों जैन ग्रन्थ मौजूद है। इस सरस्वतीभवनकी बरावरकी शानी रखनेवाला समाजमें एकभी दूसरा सरस्वती भवन नहीं है, इसको प्रत्येक यात्री देखें और जिनवाणी माताके लिये चार आंसू वहा आवे । आरासे गुलजार बाग (पटना) का टिकट लेवें । स्टेशनके पास जैनियोंकी धर्मशाला है वहां ठहरें, अथवा पटना शहरमें ठहरना चाहें तो जिया तमोली (वरई) की गलीमें पञ्चायती मंदिरके पास भी यात्रियोंको ठहरनेके लियेभी धर्मशाला है. इसी जगह श्रीमद्रबाहु स्वामी के शिष्य सम्राट श्री चन्द्रगुप्तकी राजधानी थी तथा यहींपर बौद्ध धर्मको राष्ट्रधर्म बनानेवाले देवोंके प्रिय सम्राट अशोककी भी राजधानी थी इसका प्राचीन नाम पाटलिपुत्र है। शहरमें कई एक मनोज्ञ मंदिर है वहाके दर्शन करके गुलनार बागमें सुदर्शन सेठ की निर्वाण भूमिके दर्शन करके गुलजार वागकी धर्म
SR No.010325
Book TitleJain Tirth Yatra Vivaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDahyabhai Shivlal
PublisherDahyabhai Shivlal
Publication Year
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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