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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक | अचलगढ़के जिनालय | यहां पर दो श्वेतांबरी धर्मशाला और २ मन्दिर हैं। एक मन्दिर बड़ा भारी ३ मंजिलका है, जिसमें १२ प्रतिमा धातुकी बड़ी शांत मुद्रा वीतरागरूप हैं । १ मन्दिरोंमें २ प्रतिमा हैं, कुल १४ प्रतिमा ये लोग मोनेकी बोलते हैं । प्राचीनकालके कच्ची तौल ३२ भर सेर के हिसाब से १४ प्रतिमा १४४४ ) मन वजनकी बोलते हैं । यह से दर्शन करके वापिस आबुकी धर्मशाला में जावे। अगर किसीकी इच्छा हो तो बीचमें आत्र-छावनी देखे नहीं तो बाहर से देखले जाना चाहिये । ३८ ] (६६) आबू छावणी । धर्मशाला से १ मील है। यहां बाजार है, सामान खाने पीनेका मिलता है । आसपास में तालाब, बगीचा, बड़े रईसोंके बंगले हैं, बाहर से ही देखना चाहिये । अगर भीतर से देखने की इच्छा हो तो -) का टिकट लेकर कुछ भैट चपरासीको देकर सब भीतरका हाक देखना चाहिये । फिर आबूरोडमें आकर महेसाना जंकशन जावे, टिकट १ || ) के लगभग है । | (६७) महेसाना । स्टेशन के नजदीक एक हिन्दुओंकी धर्मशाला है, बाजार भी है । एक श्वेताम्बर मंदिर बड़ा है, कुल श्वे० मंदिर २७ हैं । और श्वेताम्बर वस्ती बहुत है, दि० वस्ती कोई नहीं है । महांसे ६ रेलवे लाईन जाती हैं । १ - वीरमगांव तक, २ अहमदावाद तक, ३ पाट्टन, ४ वीसनगर, बड़नगर, तारंगा पहाड़ तक, ६ बाबूरोड़ अजमेर देहली तक | यहांसे II ) का टिकट लेकर वारंगा हीक
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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