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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक | [ १ सो उधर जानेवालेको लाडनूं जाकर फिर सुजानगढ़ जाना चाहिये । और उपर से आनेवालोंको सुजानगढ़ उतरना चाहिये, फिर लौटकर लाडनूं आना चाहिये । ( ४९ ) लाडनू । स्टेशन से गांव लगा हुआ है, शहर अच्छा है, श्वेतांबर मंदिर और ओसवालोंकी वस्ती बहुत है । साधुमार्गी तेरापंथी है, नव श्वेतांबर मंदिर, २ उपाश्रय हैं । दि० जैन सगवगियोंने यहांपर २३ वार प्रतिष्ठा कराई थी। एक मंदिर जमीन के भीतर बहुत कीमती बना हुआ है, वहां प्रतिमा बहुत प्राचीन मनोहर विराजमान है । पूजा शास्त्रका अच्छा ठाटपाट रहता है । एक पाठशाला है । जोधपुर स्टेटमें ठाकुर सा०का ग्राम है, कोई भाई यहांकी वंदना पाव रास्ता से भी ५० मील सुजानगढ़ जामकता है, नहीं तो फिर रेलमें बैठकर सुजानगढ़ उतरना चाहिये । अगर कोई भाई हांसी, हींमार, चरु, रत्नगढ़, इस लाईन से भावे नो पहिले सुनानगढ़ उतरे | फिर वहांका दर्शन करके लाडनूं आवे औ' फुलेराके पहिले जमवंतगढ़ हो लाडनूंका दर्शन करके सुजानगढ़ जावे । र (५०) सुजानगढ़ । बीकानेर राज्य एक अच्छा नगर है स्टेनमे १ मील दूर शहर है, शहर से १ मंदिर व एक नमिया - | ३ | १०० के लगभग दि० जैनियों घर हैं, शहरमें साधुमार्गी ओनवाल, श्वेतांबर बहुत है, एक बढ़िया श्वेतांबर मंदिर मी स्वन योग्य है । यहांसे आगे जानेवाला भाई होली हिसार जा+र रेलका मेल करे और लौटनेवाले भाई वापिस लौटकर डेगाना आये। सुजानगढ़
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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