SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 265
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक | [ २११ इसके तीरपर अनंतानंत सिद्ध हुए हैं। इसलिये यह क्षेत्र स्वयं पूज्यनीक है । सब यात्रा करके नीचे आजाना चाहिये | यहांपर भंडार भराकर बड़वानी लौट आवें । यहांसे तालनपुर अतिशय 1 क्षेत्र भी जा सकते हैं। हाल ऊपर देखो ! नहीं तो लौटकर मऊ होकर इन्दौर चला जाये । ( ३६२ ) इन्दौर शहर | यह शहर मानकल अच्छा है । श्री० रायबहादुर सरसेठ हुकुमचंद्रजी आदि बड़े २ सेठ साहूकार रहते हैं । होल्कर राजाका राज्य है । व्यापार बहुत है, स्टेशनके पास सेठनीकी जंबरीबागमें धर्मशाला है वहां पर सब जाराम है, यहीं पर ठहरना चाहिये। महांपर सेठ सा० की तरफसे सब सामान मिलता है। किसी यात्रीको किसी प्रकारकी तकलीफ नहीं होती है। यहांपर लाखों रुपबाकी कीमतके जड़ाव काम सहित १९ मंदिर हैं। किसी मादमीको साथ लेकर सबका दर्शन करें। २ छावणी, १ नसिया, २ तुकोगंज, १ दीवारा, ३ मंदिर मारवाड़ी (शक्कर) बाजार में हैं । तुकोगंजमे उदासीन आश्रम है। उसमें २५ त्यागी रहते हैं। रास्ते में अच्छे मकान वगैरह मिलते हैं सो भी देखना चाहिये । दीतबारामे बड़ा मंदिर है । २-३ मंजिलोंमें दर्शन है। बड़ी२ विशाल प्रतिमा हैं। एक मंदिर में नंदीश्वर द्वीपकी रचना घातुमयी है । पहिले यहांपर २४ प्रतिमा चौबीसों महाराजकी स्फटिकमणिकी थी। नक भी ३ प्रतिमा उस मंदिर में मौजूद है । १ मंदिर श्रीका है। १ मंदिर मल्हारगंज में है। महपिर धर्मशाला, कुला भी है। यहाँ श्याम वर्ण बहुत विशाल प्रतिमा नेमिनाथकी है। बहर
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy