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________________ 5 dho choc २०८] जैन तीर्थयात्रादर्शक । घर जैनियोंके हैं। वहींसे नदीपार होकर बड़वानी जाते हैं । कोई भाई घारसे महुआ, राजघाट, धर्मपुरी होकर बड़वानी आवे उनका हाल इसप्रकार है । मऊसे लारी मोटरमें आनेवालोंको ३) सवारी, छोटी मोटरमें ५) सवारी लगता है । बड़वानी ९० मील पड़ता है । बीचमें मनावर, गुजारी, अंजड़ पड़ता है, सबमें दि० नैन मंदिर और नैनियोंके घर हैं। राजघाट नर्मदा नदीका पुल है। वहांसे दूसरी सड़क फूटकर ७ मील धर्मपुरी शहरमें जाती है। राजघाटपर एक रास्ता धार और एक मउसे आकर मिलता है। यहांसे एक राम्ता धर्मपुरी, वांकानेर, एक राम्ता अंजडगांव होकर बड़वानी जाकर मिलता है। धर्मपुर से एक रास्ता वांकानेर, मना. दर होकर बड़वानी जावर मिलता है, सबसे अच्छा बेलगाड़ीका रास्ता है, कहींपर पक्की सड़क आजाती है । धर्मपुरी-यह भी धार राज्यमें अच्छा शहर है । यहांपर १ मंदिर व बहुत घर जैनियोंके हैं। किसीको देखना हो तो मांदु पहाड़की शेर करके फिर धर्मपुरी होकर राजघाट आजावे । फिर बड़वानी आना चाहिये । (३५९) मांडु पहाड़।। धर्मपुरीसे बैलगाड़ी करके यहांपर आना होता है । हिंदुस्थानमें लोग बंबई कलकत्ताकी शेर करके आश्चर्य करते हैं परंतु पहिले समयमें मांडु शहर सरीखा दुसरा शहर नहीं था । धर्मपुरीसे उत्तरकी तरफ, घारके दक्षिणकी तरफ यह एक बादशाही राज्य है । पहाड़पर चारों तरफ १२ मीलके चक्र कोटसे घिरा हुआ १८ दरवाजेके माने जाने हैं। उसके बीचमें ३ मंजकका शहर है। ऐसा शहर तो हमने नहीं देखा है। पहिले नीचे सह
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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